प्रेम-सेतु कविता 💌⌛❤️❤️
राधाकृष्ण कान्हा पूनम का है चंदा, फिर उसका तेज क्यों आधा है। लट श्यामल-सी , घुंघराली-सी , फिर लगती क्यों सादा है ।। मुस्कुराहट उसकी जगमग जगमग , आनंद क्यों विहीन है। चलता है क्यों डगमग डगमग , जो सबको मार्ग दिखाता है।। जो सबके महाविघ्नहर्ता हैं , क्या उसकी भी कोई बाधा है। हां है , क्योंकि है तो वो अपूर्ण ही , जब तक न साथ उसके...